' प्रेम के गहरे श्रणों में पशु भी मानव हो जाता है 'यह कहानी हिन्दी साहित्य के प्रमुख लेखक जैनेन्द्र कुमार विचारधारा के स्तर पर जैन एंव गांधीवादी दर्शन सें प्रभावित और अनुप्रेरित रहें हैं|अहिंसा,सवोर्दय , दार्शनिक अनुभूति , मनोवैज्ञानिक विश्लेषण आपकी रचना दृष्टि के अभिन्न अंग हैं|औदात्य और गाम्भीर्य एंव भावप्रवणता और वैचारिकता का समन्वय आपके रचना -कर्म में हुआ है|कथा के स्तर पर वें मनोविज्ञान को आधार मानते हैं तथा इसी प्ष्ठ्भूमि में कथन का विकास करतेहैं|चरित्तप्रधानता,मन:स्थिति विश्लेषण, तर्कवादी यथार्थिक धरातल जैनेन्द्र की कहानीयों का प्रमुख आधार हैं| पत्नी ,जाह्रन्वी, एक गौ, एक कैदी, नीलमदेश की राजकन्या, अपना पराया, लाल सरोवर उनकी प्रमुख कहानियॉ हैं|कथ्य की द्ष्टि लें वे समकालीन युग को जीते हुए दृष्टिगत होते हैं, तथा उन्होंने पुराण और इतिहास सें भी कथ्य का चयन किया हैं|भाषा कें स्तर पर वें जनोन्मुख औऱ सरलता सें जुडे़ हुए मानव थैं|तर्क की कसौटी पर विचार और भाव का अनुठापन उनके जीवन - दर्शन को सार्थक रूप में अभिव्यक्त करता हैं |
"एक गौ" कहानी की विशेषताएँ
'एक गौ ' कहानी जैनेन्द्र की एक ऐसी कहानी है, जो आदर्श कि भूमिका पर मनोवैज्ञानिक शैली में लिखी गयी हैं|इसकी विशेषताएँ कथागत, शैलीगत, चरित्रगत, संवादगत और मानवीय संवेदना सें सम्बन्धित हैं|इनका विवेचन क्रमश:आगे किया जा रहा है --
कथानक की विशेषताएँ - 'एक गौ' कहानी का कथानक हीरासिंह और उसकी प्रिय गाय सुन्दरिया सें सम्बन्धित हैं|हीरासिंह का गाय के प्रति, स्नेह और लगाव दिखलाते हुए कहानीकार नें सुन्दरिया गाय कें मन में मानविय संवेदना को उभारले का सफल प्रयास किया हैं|कथानक एक कस्बे सें प्रारंभ होता है |और दिल्ली शहर तक पहुचता हैं|कहानी के कथानक में सरलता और स्पष्टता दिखाई देती हैं|जिज्ञासा और कौतूहल हैं|वह प्रारम्भ, मध्य, और अन्त की दृष्टि सें आकर्षक और प्रभावशाली हैं|कहानीकार नें मनुष्य और मनुष्येतर जीव गाय कें माध्यम सें भावात्मक संवेदना उभारकर महत्वपूर्ण कार्य किया हैं|कथानक में मौलिकता भी हैं और वह रोचक भी है |गाय को मानवीय वाणी प्रदान करके जिस संकेत को प्रस्तुत किया गया हैं, वह आदर्शवादी जीवनव - मूल्यो सें सम्बन्धित हैं|इस प्रकार मनोवैज्ञानिक ,नाटकीयता, कौतूहल, सरलता और गतिशीलता एक गौ कहानी के कथानक की प्रमुख विशेषताएँ हैं|
चरित्र -चित्रण -
चरित्र - चित्रण की दृष्टि सें 'एक गौ' कहानी का विवेचन करें तों स्पष्ट लगता हैं कि इसमें प्रमुख पात्र तीन हैं- हीरासिंह, सेठ और जवाहर |गाय मनुष्येतर प्राणी हैं, किन्तु कहानीकार नें जिन पात्रों कों प्रस्तुत किया हैं, वें वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करते हुए भी अपनी निजी विशेषताएँ रखतें हैं|सेठ पूँजीपति वर्ग का प्रतीक हैं, और शोषण व अमानवीयता उसकें चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं |कहानी कें अन्त में उसका हीरासिंह की गाय सशर्त लौटा देने का वायदा उसकी इन्ही प्रव्रत्तियों कों स्पष्ट करता हैं|हीरासिंह सच्चा मानव हैं|हीरासिंह मेहनत सें नहीं घबरता था| कर्त्तव्यपरायणता और भावुकता उसकें चरित्र की उल्लेखनीय विशेषताएं हैं|गाय कें प्रति अटूट स्नेह और और आत्मीयता उसमें इतनी अधिक हैं कि कहानी में पाठक उसकें व्यक्तित्व को देखकर नतमस्तक हो उठता हैं|अन्तर्द्वन्द्व के गहरे श्रणों में हींरासिंह प्रेम को अधिक महत्वपूर्ण देते थें|इस प्रकार चरित्र ~चित्रण कें विश्लेषण के लिए मनोवैज्ञानिक शैली का प्रयोग करके कहानीकार नें अपनी कहानी को विशेष और उल्लेखनीय बना दिया हैं| ऐसी स्थिति में चरित्र ~स्रष्टि के आधार पर 'एक गौ' कहानी को न केवल श्रेष्ठ और प्रभावशाली कहानी कहा जा सकता हैं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण और सार्थक कहानी कहना भी अनुचित नहीं था|
"एक गौ" कहानी की विशेषताएँ
'एक गौ ' कहानी जैनेन्द्र की एक ऐसी कहानी है, जो आदर्श कि भूमिका पर मनोवैज्ञानिक शैली में लिखी गयी हैं|इसकी विशेषताएँ कथागत, शैलीगत, चरित्रगत, संवादगत और मानवीय संवेदना सें सम्बन्धित हैं|इनका विवेचन क्रमश:आगे किया जा रहा है --
कथानक की विशेषताएँ - 'एक गौ' कहानी का कथानक हीरासिंह और उसकी प्रिय गाय सुन्दरिया सें सम्बन्धित हैं|हीरासिंह का गाय के प्रति, स्नेह और लगाव दिखलाते हुए कहानीकार नें सुन्दरिया गाय कें मन में मानविय संवेदना को उभारले का सफल प्रयास किया हैं|कथानक एक कस्बे सें प्रारंभ होता है |और दिल्ली शहर तक पहुचता हैं|कहानी के कथानक में सरलता और स्पष्टता दिखाई देती हैं|जिज्ञासा और कौतूहल हैं|वह प्रारम्भ, मध्य, और अन्त की दृष्टि सें आकर्षक और प्रभावशाली हैं|कहानीकार नें मनुष्य और मनुष्येतर जीव गाय कें माध्यम सें भावात्मक संवेदना उभारकर महत्वपूर्ण कार्य किया हैं|कथानक में मौलिकता भी हैं और वह रोचक भी है |गाय को मानवीय वाणी प्रदान करके जिस संकेत को प्रस्तुत किया गया हैं, वह आदर्शवादी जीवनव - मूल्यो सें सम्बन्धित हैं|इस प्रकार मनोवैज्ञानिक ,नाटकीयता, कौतूहल, सरलता और गतिशीलता एक गौ कहानी के कथानक की प्रमुख विशेषताएँ हैं|
चरित्र -चित्रण -
चरित्र - चित्रण की दृष्टि सें 'एक गौ' कहानी का विवेचन करें तों स्पष्ट लगता हैं कि इसमें प्रमुख पात्र तीन हैं- हीरासिंह, सेठ और जवाहर |गाय मनुष्येतर प्राणी हैं, किन्तु कहानीकार नें जिन पात्रों कों प्रस्तुत किया हैं, वें वर्ग विशेष का प्रतिनिधित्व करते हुए भी अपनी निजी विशेषताएँ रखतें हैं|सेठ पूँजीपति वर्ग का प्रतीक हैं, और शोषण व अमानवीयता उसकें चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ हैं |कहानी कें अन्त में उसका हीरासिंह की गाय सशर्त लौटा देने का वायदा उसकी इन्ही प्रव्रत्तियों कों स्पष्ट करता हैं|हीरासिंह सच्चा मानव हैं|हीरासिंह मेहनत सें नहीं घबरता था| कर्त्तव्यपरायणता और भावुकता उसकें चरित्र की उल्लेखनीय विशेषताएं हैं|गाय कें प्रति अटूट स्नेह और और आत्मीयता उसमें इतनी अधिक हैं कि कहानी में पाठक उसकें व्यक्तित्व को देखकर नतमस्तक हो उठता हैं|अन्तर्द्वन्द्व के गहरे श्रणों में हींरासिंह प्रेम को अधिक महत्वपूर्ण देते थें|इस प्रकार चरित्र ~चित्रण कें विश्लेषण के लिए मनोवैज्ञानिक शैली का प्रयोग करके कहानीकार नें अपनी कहानी को विशेष और उल्लेखनीय बना दिया हैं| ऐसी स्थिति में चरित्र ~स्रष्टि के आधार पर 'एक गौ' कहानी को न केवल श्रेष्ठ और प्रभावशाली कहानी कहा जा सकता हैं, बल्कि एक उद्देश्यपूर्ण और सार्थक कहानी कहना भी अनुचित नहीं था|
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