कवि परिचय => हिंदी के क्रष्ण भक्त में मीरा बाई का महत्वपूर्ण स्थान है|इनके जन्मकाल व जीवन -व्रत्त के विषय में बहुत मतभेद मिलता है, परन्तु मुख्यत :माना जाता है कि मीरॉ बाई का जन्म मेड़ता के राव रत्नसिंह की पुत्ती के रूप में हुआ |मीरॉ बाई जन्म 1498 ई. में कुड़की गॉव में हुआ था |और इनका विवाह राणा सागॉ के पुत्त भोजराज के साथ सन् 1516 ई. में हुआ था |कुछ वर्षों में ही राजा भोजराज मुगलो सें युद्ध के दौरान मृत्यु को प्राप्त हो गयें और मिरॉ बाई विधवा हो गई | बचपन सें ही मीरॉ बाई क्रष्ण के प्रति अनन्य प्रेम रखती थी |भगवान क्रष्ण के प्रेम की दिवानी बनी थी, मीरा बाई नें लोक लाज छोड़कर भक्ति का मार्ग अपनाया था| तथा साधु-संतो के साथ रहकर भक्ति में लिन रहती थी |उनके साथ बैठने -उठनें को लेकर चुक्कड़ का राज घराणा उनका विरोधी मना | अतंत: मीरा राजपरिवार को छोड़कर द्वारिका चली गई थी, वही क्रष्ण की मूर्ति में विलिन हो गई, ऐसी प्रसिद्दधि मिली थी| काव्य परिचय => ...